मोक्षदा एकादशी 2025: जब मोक्ष और ज्ञान का होता है संगम

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कभी-कभी कुछ तारीखें अपने आप में बेहद खास होती हैं, और 1 दिसंबर 2025 एक ऐसी ही तारीख है। यह सिर्फ एक सामान्य सोमवार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा दिन है जब आस्था और ज्ञान का अद्भुत संगम होता है। इस दिन हम मोक्षदा एकादशी मनाएंगे, जो पापों से छुटकारा दिलाकर मोक्ष का मार्ग खोलती है। और तो और, इसी पावन दिन पर गीता जयंती भी मनाई जाती है, जो हमें जीवन का सार सिखाने वाली श्रीमद्भगवद्गीता के जन्म का उत्सव है।

Key Highlights

  • मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती, दोनों ही 1 दिसंबर 2025, सोमवार को मनाई जाएंगी।
  • ✓ यह व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।
  • ✓ इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था।
  • ✓ राजा वैखानस ने इसी व्रत के प्रभाव से अपने पूर्वजों को नरक की पीड़ा से मुक्ति दिलाई थी।
  • ✓ गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जो जीवन का सार बताते हैं।

मोक्षदा एकादशी: मोक्ष का द्वार खोलने वाला व्रत

सनातन शास्त्रों में मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है, जिसे हम मोक्षदा एकादशी के नाम से जानते हैं। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह एकादशी 'मोक्ष' यानी मुक्ति दिलाने वाली है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन पूरे विधि-विधान से व्रत रखता है, उसे न केवल अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति भी बनी रहती है।

इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है। लेकिन इस व्रत का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है इसकी कथा को सुनना या पढ़ना। कहते हैं कि बिना व्रत कथा के यह व्रत अधूरा माना जाता है और इसका पूरा फल प्राप्त नहीं होता। तो चलिए, जानते हैं वो कथा जो इस दिन के महत्व को और भी बढ़ा देती है।

राजा वैखानस की कहानी जिसने पूर्वजों को दिलाई मुक्ति

बहुत समय पहले की बात है, चंपकनगर नाम का एक सुंदर राज्य था, जहां राजा वैखानस राज करते थे। वह एक बहुत ही नेक और धर्मी राजा थे और उनके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक रात राजा ने एक बहुत ही बुरा सपना देखा। उन्होंने सपने में देखा कि उनके पूर्वज नरक की आग में तड़प रहे हैं और उनसे मदद की गुहार लगा रहे हैं।

यह सपना देखकर राजा की नींद टूट गई और वह बेहद दुखी और बेचैन हो गए। सुबह होते ही उन्होंने अपने दरबार के विद्वान ब्राह्मणों को बुलाया और अपने सपने के बारे में सब कुछ बताया। राजा ने कहा, "मैंने अपने पूर्वजों को नरक से निकलने के लिए चीखते-पुकारते देखा है। जब से मैंने यह सपना देखा है, मेरा मन किसी भी काम में नहीं लग रहा है। मैं बहुत असहाय महसूस कर रहा हूं, कृपया मुझे कोई उपाय बताएं।"

ब्राह्मणों ने राजा को सांत्वना दी और बताया कि पास के जंगल में एक महान तपस्वी, पर्वत ऋषि का आश्रम है। वे त्रिकालदर्शी हैं, यानी भूत, वर्तमान और भविष्य, तीनों कालों के ज्ञाता हैं। वे निश्चित रूप से आपकी इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। राजा तुरंत ही पर्वत ऋषि के आश्रम पहुंचे और उन्हें प्रणाम करके अपने सपने और मन की पीड़ा के बारे में विस्तार से बताया।

ऋषि ने ध्यान लगाकर सब कुछ जान लिया और राजा से कहा, "हे राजन. आपके पूर्वजों ने अपने जीवन में कुछ बुरे कर्म किए थे, जिसके कारण वे नरक भोग रहे हैं। लेकिन इसका एक उपाय है।" पर्वत ऋषि ने राजा को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे पूर्वजों को नरक से मुक्ति मिल जाएगी। राजा ने ऋषि को धन्यवाद दिया और पूरी श्रद्धा के साथ मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के पुण्य से राजा के पूर्वज बुरे कर्मों के बंधन से मुक्त हो गए और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई।

💡 क्या आप जानते हैं: मोक्षदा एकादशी का व्रत न केवल व्रत करने वाले को, बल्कि उसके पितरों यानी पूर्वजों को भी मुक्ति दिला सकता है। यह इस व्रत की सबसे बड़ी महिमा है।

गीता जयंती: जब मिला जीवन का दिव्य ज्ञान

अब बात करते हैं इस दिन के दूसरे बड़े महत्व की। यही वह पावन दिन है, जब कुरुक्षेत्र के मैदान में, जब अर्जुन अपने ही सगे-संबंधियों के खिलाफ शस्त्र उठाने से हिचकिचा रहे थे, तब उनके सारथी बने भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें जीवन, धर्म और कर्म का वो अद्भुत उपदेश दिया था, जिसे आज हम श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से जानते हैं। इसीलिए हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है।

गीता सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, यह जीवन जीने की एक कला है। इसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जिनमें हर उस सवाल का जवाब है जो हमारे मन में उठता है। जब भी आपको लगे कि जीवन में बहुत सारी परेशानियां हैं और कोई रास्ता नहीं दिख रहा, तो गीता के उपदेशों को पढ़ना चाहिए। ये आपको हर मुश्किल से बाहर निकलने की हिम्मत और प्रेरणा देंगे।

श्री कृष्ण के 10 उपदेश जो देते हैं हर मुश्किल से लड़ने की हिम्मत

गीता जयंती के इस खास मौके पर, आइए भगवान कृष्ण के कुछ ऐसे उपदेशों पर नजर डालते हैं जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और हमें एक बेहतर जीवन जीने की राह दिखाते हैं:

  • ✓ जो हुआ, अच्छा हुआ। जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है। जो होगा, वो भी अच्छा ही होगा। भविष्य की चिंता मत करो, वर्तमान में जियो।
  • ✓ परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहतीं, वे बदलती रहती हैं। इसलिए मनुष्य को कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
  • ✓ अगर परमात्मा तुम्हें कष्ट के पास ले आया है, तो विश्वास रखो, वह तुम्हें कष्ट के पार भी ले जाएगा।
  • ✓ व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ अपनी इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।
  • ✓ तनाव से केवल समस्याएं जन्म ले सकती हैं। अगर समाधान खोजना है, तो मुस्कुराना ही पड़ेगा।
  • ✓ जो हो रहा है, उसे होने दो। तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हारी सोच से बेहतर तुम्हारे लिए सोच रखा है।
  • ✓ इस पृथ्वी पर कोई साथ नहीं देता, यहां तुम्हें खुद ही लड़ना है और खुद ही संभलना भी है।
  • ✓ निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को न छोड़ें, क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।
  • ✓ यदि परिस्थितियां आपके हक में नहीं हैं, तो विश्वास कीजिए, कुछ बेहतर आपकी तलाश में है।
  • ✓ जो व्यक्ति अपने गुण और कमियों को जान लेता है, वह अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके हर काम में सफलता प्राप्त कर सकता है।

1 दिसंबर 2025 का पंचांग और शुभ मुहूर्त

इस विशेष दिन पर कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचांग का ध्यान रखना भी जरूरी है। 1 दिसंबर 2025, दिन सोमवार के पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रात 07:01 बजे तक रहेगी, जिसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन रेवती नक्षत्र रात 11:18 बजे तक रहेगा।

अगर आप कोई शुभ कार्य शुरू करना चाहते हैं, तो अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक रहेगा, जो दिन का सबसे शुभ समय माना जाता है। वहीं, राहुकाल का समय सुबह 08:15 बजे से सुबह 09:33 बजे तक रहेगा, इस दौरान कोई भी नया या महत्वपूर्ण काम शुरू करने से बचना चाहिए।

Conclusion

तो देखा आपने, 1 दिसंबर 2025 का दिन कितना खास है। यह एक ऐसा दिन है जो हमें न केवल अपने पापों से मुक्ति और पूर्वजों को सद्गति दिलाने का अवसर देता है, बल्कि जीवन की सबसे बड़ी उलझनों को सुलझाने वाला दिव्य ज्ञान भी प्रदान करता है। मोक्षदा एकादशी का व्रत हमें आध्यात्मिक शुद्धि की ओर ले जाता है, तो वहीं गीता जयंती हमें कर्म और धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि आस्था और ज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों मिलकर ही जीवन को सार्थक बनाते हैं।

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