
कभी-कभी आपका सबसे बड़ा हथियार ही सबसे बड़ी मुसीबत बन जाता है। ऐसा ही कुछ पाकिस्तान के साथ होता दिख रहा है, जहाँ उसकी सबसे ताकतवर मिसाइलों में से एक, शाहीन-3, एक बार फिर अपने ही लोगों के लिए खतरा बन गई। 22 जुलाई, 2025 को हुआ यह मिसाइल टेस्ट एक बड़ी तकनीकी नाकामी में बदल गया, जब मिसाइल अपने लक्ष्य से भटककर बलूचिस्तान के एक रिहायशी इलाके के पास जा गिरी। यह घटना न सिर्फ पाकिस्तान की सैन्य तकनीक पर सवाल उठाती है, बल्कि बलोच लोगों के गुस्से और क्षेत्रीय सुरक्षा की चिंताओं को भी गहरा करती है।
Key Highlights
- ✓ पाकिस्तान का परमाणु-सक्षम शाहीन-3 बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट 22 जुलाई, 2025 को बुरी तरह फेल हो गया।
- ✓ मिसाइल अपने रास्ते से भटककर बलूचिस्तान के डेरा बुगती में एक नागरिक बस्ती से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर जा गिरी।
- ✓ इसे पंजाब के डेरा गाजी खान से लॉन्च किया गया था, जो पाकिस्तान के सबसे बड़े परमाणु केंद्र के बेहद करीब है।
- ✓ बलोच नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे बलूचिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन और नागरिकों के जीवन को खतरे में डालना बताया है।
- ✓ यह कोई पहली घटना नहीं है; 2023, 2021 और 2020 में भी पाकिस्तान के मिसाइल टेस्ट फेल हो चुके हैं।
आखिर 22 जुलाई को हुआ क्या था?
चलिए, पूरी कहानी को समझते हैं। 22 जुलाई, 2025 को, पाकिस्तानी सेना ने पंजाब प्रांत के डेरा गाजी खान के राखी इलाके से अपनी शाहीन-3 मिसाइल का परीक्षण किया। यह एक सरफेस-टू-सरफेस बैलिस्टिक मिसाइल है, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। लेकिन लॉन्च के कुछ ही देर बाद, सब कुछ गलत हो गया। मिसाइल अपने तय रास्ते से भटक गई और सीधा बलूचिस्तान के डेरा बुगती जिले के मट्टी इलाके में जा गिरी।
सबसे डरावनी बात यह थी कि इसका मलबा एक नागरिक बस्ती से महज 500 मीटर की दूरी पर गिरा। यह जगह लप सहरान लोनी स्टेशन के पास की एक खाई थी। धमाका इतना जोरदार था कि इसकी आवाज 20 से 50 किलोमीटर दूर तक, यहाँ तक कि खैबर पख्तूनख्वा के कुछ इलाकों में भी सुनाई दी। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर अफरा-तफरी मच गई। कुछ वीडियो में लोग डरकर भागते हुए दिखे, और तरह-तरह की अफवाहें फैलने लगीं। किसी ने कहा कि मिसाइल डेरा गाजी खान के परमाणु केंद्र पर गिरी है, तो किसी ने इसे दुश्मन का ड्रोन हमला समझ लिया।
पाकिस्तानी सेना की प्रतिक्रिया भी काफी दिलचस्प थी। उन्होंने तुरंत इलाके में इंटरनेट बंद कर दिया, मीडिया के जाने पर रोक लगा दी और लोगों को घरों में रहने को कहा। डेरा गाजी खान के कमिश्नर के प्रवक्ता, मजहर शेरानी ने इसे एक फाइटर जेट का "सोनिक बूम" (ध्वनि की दीवार टूटने की आवाज) बताने की कोशिश की। लेकिन सवाल यह है कि अगर यह सिर्फ एक सोनिक बूम था, तो डेरा बुगती में मिसाइल का मलबा कहाँ से आया?
शाहीन-3: पाकिस्तान का 'घमंड' या 'खतरा'?
शाहीन-3 को पाकिस्तान की रक्षा रणनीति का एक अहम हिस्सा माना जाता है। यह एक सॉलिड-फ्यूल, सरफेस-टू-सरफेस बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 2750 किलोमीटर है। इसका मतलब है कि यह भारत के दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों तक पहुंच सकती है। इसे खास तौर पर भारत की अग्नि-III मिसाइल का जवाब देने के लिए चीन की तकनीकी मदद से 2000 के दशक में विकसित किया गया था।
लेकिन ताकतवर होना एक बात है और भरोसेमंद होना दूसरी। बार-बार होती ये नाकामियां शाहीन-3 की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान का कोई मिसाइल टेस्ट इस तरह से फेल हुआ हो।
नाकामियों की एक लंबी फेहरिस्त
- ✓ अक्टूबर 2023: एक और शाहीन-3 टेस्ट फेल हुआ था और इसका धमाका भी डेरा गाजी खान के पास ही हुआ था। तब भी सरकार ने इसे "सोनिक बूम" बताया था।
- ✓ जनवरी 2021: एक शाहीन-3 का मलबा डेरा बुगती के एक नागरिक इलाके में गिरा था, जिससे कई घर तबाह हो गए थे और लोग घायल हुए थे।
- ✓ 2020: बाबर-II क्रूज मिसाइल का परीक्षण भी बलूचिस्तान में क्रैश के साथ समाप्त हुआ।
- ✓ 2022: सिंध के जमशोरो शहर में एक अज्ञात मिसाइल गिरी, जिसे भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की घटना का जवाब देने की नाकाम कोशिश माना गया।
बलूचिस्तान का गुस्सा और डेरा गाजी खान का महत्व
इन घटनाओं से बलूचिस्तान के लोगों में भारी गुस्सा है। बलोच राष्ट्रवादी संगठनों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान को अपनी हथियारों की "प्रयोगशाला" बना रही है। उनका आरोप है कि सेना जानबूझकर उनके इलाकों में खतरनाक परीक्षण करती है, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ती है। बलोच रिपब्लिकन पार्टी के प्रवक्ता शेर मोहम्मद बुगती ने कहा है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान को अपने हथियारों का टेस्टिंग ग्राउंड बना चुका है और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इसकी जांच की मांग की है।
लोगों को 1998 में चगई जिले में हुए परमाणु परीक्षण आज भी याद हैं। उन परीक्षणों के बाद से इलाके में कैंसर, त्वचा रोग और अन्य गंभीर बीमारियां फैल गई हैं और वहां का पानी भी प्रदूषित हो चुका है। बलोच लोगों का यह भी आरोप है कि सेना परीक्षणों से पहले उन्हें जबरन उनके घरों से निकाल देती है ताकि क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों, जैसे गैस और खनिज, का दोहन किया जा सके।
वहीं, डेरा गाजी खान का महत्व भी समझना जरूरी है। यह शहर पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम का दिल है। यहाँ यूरेनियम का भंडारण और प्रोसेसिंग होती है। 1970 में पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन (PAEC) ने यहां एक प्लांट स्थापित किया था। अगर मिसाइल वाकई इस केंद्र के पास गिरती, तो एक बहुत बड़ी परमाणु तबाही हो सकती थी, जिसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ता।
इस घटना का दुनिया और भारत के लिए क्या मतलब है?
पाकिस्तान की बार-बार की मिसाइल विफलताएं भारत के लिए दोधारी तलवार की तरह हैं। एक तरफ, यह पाकिस्तान की सैन्य विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से अच्छी खबर हो सकती है। शाहीन-3 को मुख्य रूप से भारत को निशाना बनाने के लिए ही डिजाइन किया गया है।
लेकिन दूसरी तरफ, एक बहुत बड़ा खतरा भी है। डेरा गाजी खान जैसे परमाणु केंद्र के पास कोई भी दुर्घटना एक बड़े परमाणु हादसे को जन्म दे सकती है, जिसका असर भारत पर भी पड़ना तय है। इसके अलावा, बलूचिस्तान में बढ़ता गुस्सा क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर सकता है, जो भारत-पाक संबंधों को और जटिल बना देगा। अमेरिका भी पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कड़ी नजर रखता है। 2023 की घटना के बाद एक अमेरिकी "न्यूक्लियर स्निफर" विमान को इलाके में देखा गया था, जो दिखाता है कि दुनिया इस खतरे को लेकर कितनी चिंतित है।
Conclusion
तो कुल मिलाकर, शाहीन-3 मिसाइल की यह नाकामी सिर्फ एक तकनीकी खराबी से कहीं ज्यादा है। यह पाकिस्तान की रक्षा प्रौद्योगिकी की कमजोरियों, बलूचिस्तान में गहरे होते असंतोष और एक परमाणु शक्ति के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को उजागर करती है। यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि कैसे एक देश का सबसे बड़ा रणनीतिक हथियार ही उसके लिए और पूरे क्षेत्र के लिए एक विनाशकारी खतरा बन सकता है। जब आपकी अपनी मिसाइलें ही आपके काबू से बाहर हो जाएं, तो यह सोचने वाली बात है कि आप असल में सुरक्षित हैं या एक बड़े हादसे के मुहाने पर खड़े हैं।
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